Indian Businessman: आपने कई बिजनेसमैन के बारे में सुना होगा कि उन्होंने अपना बिजनेस शून्य से शुरू किया और अब उनके पास करोड़ों का व्यापार है. कई भारतीय बिजनेसमैन अपनी कंपनियों की शुरुआत जीरो से की और उन्हें अरबों डॉलर के एम्पायर में बदल दिया. लंबे समय के बाद उनकी पीढ़ी ही साम्राज्य को संभालती है. कुछ ऐसा ही भारतीय बिजनेसमैन की बेटी ने किया. एक ऐसी महिला जो अब अपने पिता की कंपनी चलाने में मदद कर रही हैं, उनका नाम है सुनीता रेड्डी. वह अपोलो हॉस्पिटल्स की मैनेजिंग डायरेक्टर और हृदय रोग विशेषज्ञ प्रताप रेड्डी की बेटी हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उन्होंने 1983 में अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज की स्थापना की थी.
बिजनेसमैन की बेटी का साम्राज्य है बहुत बड़ा
सुनीता रेड्डी के पिता प्रताप रेड्डी कंपनी के चेयरमैन हैं और अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने इसकी स्थापना की थी. फोर्ब्स के अनुसार, 1 जनवरी 2024 तक उनकी कुल संपत्ति 23,300 करोड़ रुपये है. सुनीता ने 1989 में ही अस्पताल में काम करना शुरू कर दिया था. उनके नेतृत्व में, यह अस्पताल एकीकृत स्वास्थ्य सेवा का अग्रणी संस्थान बनकर उभरा है. सोमवार के आए आंकड़ों के अनुसार, अपोलो हॉस्पिटल्स का मार्केट कैप्टलाइजेशन 82,492 करोड़ रुपये है.
सुनीता रेड्डी ने की है इसकी पढ़ाई
सुनीता के पास चेन्नई के स्टेला मैरिस कॉलेज से जनसंपर्क, अर्थशास्त्र और मार्केटिंग में ग्रेजुएट की डिग्री है. बाद में उन्होंने चेन्नई में इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च से फाइनेंशियल मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया. उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) में ऑनर/प्रेसिडेंट मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया है. वह अपने फिटनेस पर भी ध्यान देती हैं. सुनीता को इंदौर में सेज यूनिवर्सिटी से जीवन विज्ञान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त है. वह स्वस्थ जीवन और संतुलित आहार का बहुत ध्यान रखती हैं.
अब इतना बड़ा है उनका ओहदा
कई सालों तक सुनीता हेल्थकेयर काउंसिल की अध्यक्ष रह चुकी हैं. यह एक महत्वपूर्ण संगठन है जो भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बेहतर बनाने का काम करता है. अपने करियर में उन्होंने अस्पतालों के निर्माण और विकास में अहम भूमिका निभाई है. कुछ अस्पताल बिल्कुल नए बनाए गए हैं तो कुछ मौजूदा अस्पतालों का विस्तार करके नई सुविधाएं दी गई हैं. सुनीता हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल दोनों ही में अडवाइजरी बोर्ड की सदस्य हैं. ये दोनों ही बोर्ड महत्वपूर्ण राय देते हैं और महत्वपूर्ण निर्णयों में मदद करते हैं.
NEWS SOURCE : zeenews













