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बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने का अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने किया विरोध, कार्यवाही पर उठाया सवाल

नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश में विरोध और हिंसा की घटनाएं हो ही रही हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के पक्ष में नहीं है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार काउंसिल यूएनएचआरसी ने शेख हसीना को सजा सुनाए जाने पर चिंता जताई है। यूएनएचआरसी ने तय प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई के मानकों पर जोर देते हुए शेख हसीना को मौत की सजा पर विरोध जताया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस और एमनेस्टी इंटरनेशनल भी शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के खिलाफ हैं।

यूएनएचआरसी के उच्चायुक्त वोल्कर टर्क के जेनेवा स्थित दफ्तर में प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि शेख हसीना और उनकी सरकार में गृहमंत्री रहे असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ मौत की सजा का फैसला 2024 में बांग्लादेश में आंदोलन को दबाने के दौरान हुए गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों के लिए अहम है। शमदासानी ने शेख हसीना और कमाल को मौत की सजा सुनाए जाने पर विरोध भी जताया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि संगठन मौत की सजा के खिलाफ है। दुजारिक ने यूएनएचआरसी उच्चायुक्त वोल्कर टर्क के बयान का समर्थन किया है।

दूसरी तरफ मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शेख हसीना को बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल से मौत की सजा सुनाए जाने का विरोध किया है। एमनेस्टी ने आरोप लगाया है कि शेख हसीना और असदुज्जमां खान कमाल के खिलाफ बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल में चली कार्यवाही निष्पक्ष और न्यायसंगत नहीं थी। शेख हसीना पहले ही खुद पर लगाए गए आरोपों और सजा को गलत बता चुकी हैं। बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन के बाद 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना और उनकी बहन जान बचाकर भारत आ गए थे। शेख हसीना और उनकी बहन को भारत ने शरण दी है। वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है।

शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश ने फिर उनके प्रत्यर्पण की मांग दोहराई है। वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पड़ोसी होने के नाते बांग्लादेश के लोगों के हितों के बारे में भारत प्रतिबद्ध है। इसमें बांग्लादेश में शांति, लोकतंत्र, समावेशी हालात और स्थिरता शामिल है। भारत ने कहा है कि इसके लिए सभी हितधारकों से रचनात्मक तौर पर जुड़ा रहेगा।

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