January 29, 2025

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इसरो का 100वां मिशन कामयाब, एनवीएस-02 सैटेलाइट अंतरिक्ष भेजा गया

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नई दिल्ली। इसरो ने एक बार फिर कामयाबी का झंडा फहराया है। इसरो ने अपने 100वें मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए अंतरिक्ष के भू-स्थिर कक्षा में एनवीएस-02 सैटेलाइट को प्रक्षेपित किया। इस प्रक्षेपण के लिए इसरो ने जीएसएलवी एफ-15 रॉकेट का इस्तेमाल किया। एनवीएस-02 सैटेलाइट का वजन करीब 2250 किलोग्राम है। एनवीएस-02 सैटेलाइट में एल-1, एल-5 और एस बैंड है। इनसे जीपीएस नेविगेशन में मदद मिलेगी। इसके अलावा एनवीएस-02 सैटेलाइट में सी बैंड का रेंजिंग यंत्र भी है। इससे रेंज नापी जा सकती है। भारत की धरती से 1500 किलोमीटर के क्षेत्र में एनवीएस-02 की सेवा मिलेगी। इससे पहले एनवीएस-01 लॉन्च किया गया था। Navic योजना के तहत एनवीएस श्रेणी के 5 उपग्रह इसरो अंतरिक्ष में स्थापित करेगा।

एनवीएस-2 के बारे में इसरो ने बताया कि मुख्य तौर पर इसका इस्तेमाल जमीन, हवा और समुद्र में नेविगेशन के लिए किया जा सकता है। एनवीएस-02 से खेती, फ्लीट के प्रबंधन, मोबाइल फोन में जीपीएस, उपग्रहों के लिए कक्षा तय करने, इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी आईओटी का इस्तेमाल, समय के बारे में जानकारी और आपातकाल में राहत और बचाव दलों को स्थान की सटीक जानकारी देने में किया जा सकेगा। नाविक बेस लेयर के 5 सैटेलाइट में से अंतरिक्ष में भेजे गए दोनों सैटेलाइट को उन्नत सुविधाएं देने के लिए डिजाइन किया गया है। इससे जीपीएस सेवा लगातार मिलती रहेगी। एनवीएस-01 को इसरो ने 29 मई 2023 को अंतरिक्ष में भेजा था।

अब तक भारत अमेरिका के भेजे सैटेलाइट के जरिए जीपीएस सेवा ले रहा था। करगिल युद्ध के वक्त अमेरिका से ये सेवा भारत को नहीं मिली थी। इसके बाद ही भारत सरकार ने तय किया कि वो अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट भेजकर अपनी खुद की जीपीएस सेवा शुरू करेगा। भारतीय उपमहाद्वीप में जीपीएस सुविधा शुरू होने से पड़ोसी देश भी इसका फायदा ले सकेंगे। भारत सरकार ने मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों से भी कहा है कि वो अपने फोन में नाविक संबंधी जीपीएस सुविधा दें। मोबाइल फोन में जीपीएस की सुविधा अमेरिका के सैटेलाइट के जरिए मिलती है।