एच1-बी वीजा पर 1 लाख डॉलर की भारी भरकम फीस कम करने की डोनाल्ड ट्रंप से मांग, अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र
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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच1-बी वीजा के नए आवेदनों पर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर यानि लगभग 88 लाख रुपये का शुल्क लगाया है। इसको लेकर अमेरिका के ही कुछ सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप को चिट्ठी लिखी है और उनसे वीजा फीस हटाने की मांग उठाई है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य जिमी पनेटा, कांग्रेस के अमी बेरा, सालुद कार्बाजल और जूली जॉनसन की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि इस प्रकार की नीति से अमेरिका-भारत के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सांसदों ने अमेरिका के आईटी और एआई क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका का भी जिक्र किया है।
अमेरिकी सांसदों ने अपने पत्र में लिखा है कि एच1-बी वीजा कार्यक्रम अमेरिकी अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए बहुत ही जरूरी है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारतीय नागरिक अमेरिकी सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षेत्रों में को मजबूती दे रहे हैं। अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप का ध्यान चीन की ओर भी आकर्षित कराया कि ऐसे समय में जब चीन एआई और उच्च तकनीकी क्षेत्रों में अत्यधिक निवेश कर रहा है तो अमेरिका को भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि भारतीय पेशेवरों को अमेरिका के आईटी सेक्टर के प्रति आकर्षित करें।
सांसदों ने अपने पत्र में लिखा कि एच1-बी वीजा पर भारी भरकम शुल्क लगाना न सिर्फ भारतीय कामगारों को प्रभावित करेगा बल्कि इससे भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर भी प्रभाव पड़ेगा। सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप से आग्रह करते हुए कहा है कि वो अपने निर्णय पर एक बार फिर से विचार करें और एच1-बी वीजा आवेदनों पर लगाए गए मोटे शुल्क को कम करें। बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने 19 सितंबर को एलान किया था कि अमेरिका आने के लिए जो भी एच1बी वीजा का आवेदन करेगा, उसे 1,00,000 अमेरिकी डॉलर फीस चुकानी होगी।
