इंडो-पैसिफिक को किसी भी प्रकार की जबरदस्ती से मुक्त रहना चाहिए, आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में बोले राजनाथ सिंह
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नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम-प्लस) को संबोधित किया। राजनाथ सिंह ने कहा, इंडो-पैसिफिक को लेकर भारत का दृष्टिकोण हमेशा स्पष्ट रहता है खुला, समावेशी और नियम-आधारित। हमारा कानून के शासन पर जोर विशेषकर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) पर, नेविगेशन और उड़ान की स्वतंत्रता का समर्थन, किसी देश के विरुद्ध नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्रीय हितधारक के हितों की रक्षा के लिए है। राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा, इंडो-पैसिफिक को किसी भी प्रकार की जबरदस्ती से मुक्त रहना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा, भारत, आसियान और प्लस देशों के साथ अपने रक्षा सहयोग को क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और क्षमता-विकास में योगदान के रूप में अपना रोल देखता है। भारत की इंडो-पैसिफिक सुरक्षा दृष्टि, रक्षा सहयोग को आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी साझाकरण और मानव संसाधन उन्नति के साथ जोड़ती है। सुरक्षा, विकास और स्थिरता के बीच के इंटरलिंकेज की यह कड़ी ही भारत और आसियान की पार्टनरशिप की असली भावना है। भारत ने हमेशा रक्षा सहयोग में जलवायु लचीलेपन को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया है। पर्यावरणीय तनाव, संसाधनों की कमी और संघर्ष इनके बीच का संबंध इस विषय को क्षेत्रीय सुरक्षा एजेंडा का आवश्यक अंग बनाता है।
रक्षा मंत्री ने कहा, भारत ने आपदा प्रतिक्रिया और मानवीय संचालन में अपने और क्षेत्रीय अनुभवों का उपयोग करते हुए इन पहले में सक्रिय भागीदारी दिखाई है। इसके अतिरिक्त, भारत ने प्रशिक्षण कार्यक्रम, रक्षा शिक्षा आदान-प्रदान और तकनीकी सहयोग के माध्यम से क्षमता निर्माण को बढ़ावा दिया है। इन प्रयासों ने हमारी सेनाओं और आसियान सदस्य देशों की सेनाओं के बीच पेशेवर समझ को मजबूत किया है। उन्होंने कहा, एडीएमएम-प्लस के 15 वर्षों ने यह सिद्ध किया है कि विश्वास, समावेशिता और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित सहयोग न केवल आवश्यक है बल्कि संभव भी है। अब, इसका अगला चरण इस नींव पर आगे बढ़ते हुए उभरती वास्तविकताओं के अनुरूप स्वयं को ढालने का होगा।
