वो सो रहे हैं, अदालत के प्रति कोई सम्मान ही नहीं…आवारा कुत्तों से जुड़े मामले में आखिर क्यों और किस पर भड़का सुप्रीम कोर्ट?
नई दिल्ली। आवारा कुत्तों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को अदालत में वर्चुअली पेश होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कोर्ट के निर्देशों का पालन न करने पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस मामले को राज्य सरकारों द्वारा सुलझाया जाना चाहिए था, उसे हम सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं और उनके लिए (राज्यों के मुख्य सचिव) हमारे आदेश के प्रति कोई सम्मान ही नहीं है। उन्हें अदालत में शारीरिक रूप से आना ही होगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से निवेदन किया था कि पश्चिम बंगाल तेलंगाना को छोड़कर बाकी राज्यों के मुख्य सचिवों को वर्चुअली पेश होने की इजाजत दी जाए। लाइव लॉ की खबर के अनुसार जस्टिस विक्रमनाथ ने कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायालय समस्याओं से निपटने की कोशिश में समय बर्बाद कर रहा है, जिसे नगर निगम द्वारा, राज्य सरकारों द्वारा सुलझााया जाना चाहिए था। हम उनसे (मुख्य सचिवों से) अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कह रहे हैं और वो इस पर सो रहे हैं। उन्हें आने दीजिए, हम उनसे निपट लेंगे। उन्हें शारीरिक रूप से आना होगा और बताना होगा कि अनुपालन हलफनामा क्यों दायर नहीं किया गया।
आपको बता दें कि इसस पहले कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब करते हुए 3 नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा था कि आवारा कुत्तों के द्वारा काटे जाने की बढ़ती घटनाओं से विदेशों में भी देश की छवि खराब हो रही है, इसके बावजूद इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इस मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद सिर्फ सिर्फ पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही जवाबी हलफनामा दायर किया है।
