‘सत्ता परिवर्तन के राजनीतिक मकसद के लिए 2020 में कराए गए थे दिल्ली में दंगे’, सुप्रीम कोर्ट में पुलिस ने हलफनामा देकर किया सनसनीखेज दावा
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नई दिल्ली। साल 2020 में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन और दंगे हुए थे। इन दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। जबकि, दिल्ली दंगों में 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। साथ ही सार्वजनिक और निजी संपत्ति को दंगाइयों ने बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त किया था। अब दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर दिल्ली दंगों के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया है। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में दावा किया है कि राजधानी में हुए दंगे सत्ता परिवर्तन की कोशिश के तहत किए गए थे। दिल्ली पुलिस के मुताबिक ये दंगे सामान्य न होकर राजनीतिक मकसद पूरा करने के लिए किए गए।
दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर वगैरा की जमानत अर्जी का दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में विरोध किया है। दिल्ली पुलिस ने हलफनामे में दावा किया है कि दिल्ली में विरोध प्रदर्शन और दंगे अचानक नहीं हुए। पुलिस के मुताबिक ये देश की शांति और देश की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को अस्थिर करने की सोची-समझी साजिश थी। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि उसने जांच के दौरान आरोपियों और सांप्रदायिक आधार पर रची गई गहरी साजिश से जोड़ने वाले प्रत्यक्ष, तकनीकी और दस्तावेजी सबूत जुटाए हैं।
दिल्ली पुलिस ने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में हुए दंगे सीएए पर असहमति को हथियार बनाकर देश की संप्रभुता और अखंडता पर हमला करने के लिए किए गए। दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद और अन्य आरोपियों के बारे में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इन सभी ने ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करने और मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने से रोकने के लिए प्रक्रिया का खुलकर दुरुपयोग किया। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दिल्ली दंगा मामले में 100-150 गवाह ही पर्याप्त हैं और ट्रायल जल्दी खत्म हो सकता है। पुलिस ने यूएपीए कानून के हवाले से कहा है कि इस तरह के गंभीर आतंकवाद से जुड़े अपराध के लिए बेल नहीं जेल का ही नियम है। उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर समेत आरोपियों की जमानत अर्जी पर कल यानी शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
