ढाका। बांग्लादेश में अराजकता का माहौल और गहरा सकता है। खबरों के मुताबिक शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन करने वाले संगठन स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन ने नए साल में बांग्लादेश के संविधान को खत्म कराने के लिए कमर कसी है। उनके साथ कट्टरपंथी भी हैं। स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन की ये भी मांग है कि बांग्लादेश में राष्ट्रपति और सेना प्रमुख का पद भी खत्म किया जाए। इसके साथ ही शेख हसीना के तख्तापलट को भी क्रांति का नाम देने की मांग की जा रही है। छात्र नेता हसनत अब्दुल्लाह ने कहा है कि बांग्लादेश का संविधान मुजीबवादी कानून है। हसनत ने कहा है कि इसे हम खत्म कराकर ही रहेंगे। हसनत अब्दुल्लाह ने कहा कि इसी संविधान की वजह से भारत को बांग्लादेश में दखल का मौका मिला।
कट्टरपंथियों और छात्र संगठन ने इससे पहले भी मांग की थी कि बांग्लादेश के 1972 में बने संविधान को रद्द किया जाए। अगर ऐसा होता है, तो बांग्लादेश के भी कट्टर इस्लामी राष्ट्र बनने की आशंका है। बताया जा रहा है कि जो लोग शेख हसीना की सरकार का तख्ता पलट करने में शामिल थे, उनके कनेक्शन उसी पाकिस्तान से हैं, जिसने पूर्वी पाकिस्तान रहते लोगों पर सेना के जरिए बहुत अत्याचार, हिंसा और रेप कराए थे। बीते दिनों इस्लामी देशों के संगठन डी-8 की बैठक में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस गले भी मिले थे।
बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को तत्कालीन पीएम शेख हसीना का तख्ता पलट हो गया था। जान बचाने के लिए शेख हसीना अपनी बहन शेख रेहाना के साथ भागकर भारत आ गई थीं। तभी से शेख हसीना भारत में हैं। वहीं, शेख हसीना के पलायन के बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथी लगातार अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई और बौद्धों को निशाना बना रहे हैं। हिंदुओं और ईसाई समुदाय के घरों पर हमले, मंदिरों में आगजनी और तोड़फोड़ की हजारों घटनाएं बांग्लादेश में हो चुकी हैं। पिछले दिनों ये खबर भी आई थी कि बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार ने पुलिस में हिंदुओं की भर्ती पर रोक लगाने का फैसला किया है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन ऐसी घटनाएं हुई हैं जहां सरकारी स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाने वाले हिंदू टीचरों से जबरन इस्तीफा लिया गया और उनसे मारपीट हुई।








