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कौन था नरकासुर?, जिसका भगवान श्रीकृष्ण ने किया वध तो मनाई जाने लगी नरक चतुर्दशी

नई दिल्ली। आज छोटी दिवाली है। इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी को नरकासुर नाम के दैत्य के नाम से मनाया जाता है। प्राचीन मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही नरकासुर का वध किया था। प्राचीन कथाओं के अनुसार नरकासुर प्रागज्योतिषपुर का राजा था। वो बड़ा बलशाली था। नरकासुर के बारे में कहा जाता है कि उसने स्वर्ग के राजा इंद्र और अन्य देवताओं को परेशान कर रखा था। कई देवताओं को भी उसने बंदी बना लिया था। नरकासुर ने तमाम राजाओं की पत्नियों और बेटियों का अपहरण भी किया था ।

प्राचीन कथा के अनुसार नरकासुर के अत्याचार की जानकारी भगवान श्रीकृष्ण तक इंद्र ने पहुंचाई। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से आग्रह किया कि वो नरकासुर का वध कर पृथ्वी को उसके आतंक से मुक्ति दिलाएं। इस पर भगवान श्रीकृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ प्रागज्योतिषपुर पहुंचे और नरकासुर को युद्ध के लिए बुलाया। नरकासुर ने भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध के लिए अपने 6 बेटों को भेजा। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर के सभी बेटों का वध कर दिया। बेटों के वध के बाद नरकासुर ने भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध किया और प्राचीन कथा के अनुसार भगवान ने नरकासुर को भी मार डाला और उसकी कैद से 16000 महिलाओं को मुक्त कराया। तभी से कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।

नरक चतुर्दशी की रात 14 दीये जलाने की भी प्राचीन परंपरा है। 30 अक्टूबर यानी आज दोपहर 1.16 बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और 31 अक्टूबर 3.52 बजे समाप्त होगी। आज रात 9.43 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। यानी इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने से हर तरह की मनोवांछित सिद्धि की प्राप्ति होने बताया जाता है। कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन तिल का तेल लगाकर स्नान करने से भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा भी प्राप्त होती है।