नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने प्रेस कांफ्रेंस कर हार की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि हम लोग सामूहिक तौर पर हारे हैं, हम लोगों से जो गलती हुई है, इस पर आत्मचिंतन करेंगे। जिन लोगों ने जन सुराज से जुड़कर एक सपना देखा था कि बिहार में एक नई व्यवस्था बनाई जा सकती है उनकी आशाओं, अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने के लिए मेरा दोष है, मैं विनम्रता से माफी मांगता हूं। मैं बिहार के लोगों को यह नहीं समझा पाया कि बिहार के लोगों को किस बात पर वोट देना चाहिए, इसलिए प्रायश्चित के तौर पर 20 नवंबर को मैं गांधी विदर्भ आश्रम में एक दिन का मौन उपवास रखूंगा। इसके साथ ही उन्होंने राजनीति से उनके संन्यास लेने के उठ रहे सवालों पर भी जवाब दिया।
चुनाव के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने कहा, हो सकता है कि हमसे गलती हो सकती है लेकिन हमने कोई गुनाह नहीं किया है। वोट न पाना कोई गुनाह नहीं है। हमने जाति की राजनीति नहीं की और न ही हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करने का गुनाह किया। हमने समाज में जहर नहीं फैलाया। हमने गरीब और मासूम लोगों के वोट खरीदने का गुनाह नहीं किया। जिन्होंने ऐसा किया है, उन्हें इसका हिसाब देना ही होगा। महाभारत के धर्म युद्ध में अभिमन्यु को मारने के बाद भी महाभारत की जीत कौरवों को नहीं मिली, जीत न्यायप्रिय लोगों को मिली थी। आगे चलकर निश्चित तौर पर जुन सुराट पार्टी की जीत होगी।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जिस पार्टी को सिर्फ 3.5 प्रतिशत वोट मिले उसकी पत्रकार वार्ता में इतने सारे पत्रकारों का आना यह दिखाता है कि हमने कुछ काम तो सही किया होगा। तीन साल पहले बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के संकल्प से हम आए थे, एक ईमानदार प्रयास किया और उसमें बिलकुल सफलता नहीं मिली, यह मानने में कोई गुरेज नहीं है। व्यवस्था परिवर्तन तो छोड़िए सत्ता परिवर्तन भी हम नहीं करा सकते लेकिन बिहार की राजनीति को बदलने में थोड़ी बहुत भूमिका जरूर हमारी बनी है। जरूर कुछ कमियां रही होंगी, जिनकी वजह से जनता ने हमें नहीं चुना। मैं इसकी शत् प्रतिशत जिम्मेदारी खुद पर लेता हूं।
प्रशांत किशोर ने कहा, लोग जेडीयू के 25 सीटें जीतने पर मेरे बयान पर खूब चर्चा कर रहे हैं – मैं अब भी उस पर कायम हूं। अगर नीतीश कुमार ने ये वोट खरीदे नहीं हैं वो अपने वादे के अनुसार लोगों को 2-2 लाख रुपये दे दें मैं बिलकुल राजनीति से संन्यास ले लूंगा, इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
















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