स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को ओबीसी आरक्षण पर जोर का झटका दिया है। तेलंगाना सरकार ने ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश पर हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया। तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार ने आदेश जारी कर राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाया था। जिस पर तेलंगाना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए रोक लगा दी थी। ऐसे में तेलंगाना में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण तभी बढ़ाया जा सकेगा, अगर हाईकोर्ट इसके पक्ष में अपना अंतिम फैसला सुनाता है।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य की रेवंत रेड्डी वाली कांग्रेस सरकार के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए कहा था कि स्थानीय निकाय के चुनाव सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित ट्रिपल टेस्ट के तहत होने चाहिए। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने बीते दिनों ही ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया था। इसके अलावा तेलंगाना में एससी को 15 फीसदी और एसटी को 10 फीसदी आरक्षण पहले से है। ऐसे में आरक्षण की सीमा 67 फीसदी हो गई थी। जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी पर ही रखा है। संविधान में संशोधन के बगैर इस सीमा को बढ़ाया नहीं जा सकता।
रेवंत रेड्डी सरकार ने 8 अक्टूबर को आदेश जारी कर स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाने की बात कही थी। बढ़े आरक्षण के तहत ही स्थानीय निकाय चुनाव कराने की बात भी तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने कही थी। तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस पर कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग आनुपातिक सीटों को खुली श्रेणी के तहत अधिसूचित कर चुनाव कराएगा। कोर्ट में याचिका करने वालों के वकील के. विवेक रेड्डी ने कहा था कि तेलंगाना सरकार का आदेश राजनीतिक आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय 50 फीसदी सीमा से ज्यादा है। ये ट्रिपल टेस्ट का भी उल्लंघन करता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद तेलंगाना निर्वाचन आयोग ने कहा था कि अगली अधिसूचना तक गतिविधियों को स्थगित किया जा रहा है। तेलंगाना निर्वाचन आयोग ने इससे पहले 29 सितंबर को ग्रामीण स्थानीय निकाय के चुनाव अक्टूबर और नवंबर में पांच दौर में कराने की अधिसूचना जारी की थी।
