वार्षिक योजना का प्रारूप तैयार बगैर किए औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित गांवों का संपूर्ण, उचित विकास संभव नही
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रविन्द्र बंसल प्रभारी यूपी, यूके / हिंद फोकस न्यूज़
वार्षिक योजना का प्रारूप तैयार बगैर किए औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित गांवों का संपूर्ण, उचित विकास संभव नही
बेतरतीब विकास कार्यों से एक तरफ गांवों के लोगों को हो रही परेशानी तो दूसरी तरफ प्राधिकरण के राजस्व को लग रहा पलीता
-कर्मवीर नागर प्रमुख
गौतमबुद्धनगर । आमतौर पर सभी सरकारी महकमे किसी भी कार्य को अंजाम देने के लिए वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में योजना का प्रारूप तैयार करते हैं और बाद में इस योजना के तहत विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है। अगर हम गांवों के विकास के संदर्भ में लें तो सभी ग्राम पंचायतों में वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में बैठकें आयोजित करके प्रतिवर्ष विकास की रूपरेखा तैयार की जाती है और उस वार्षिक योजना के अनुसार विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है। लेकिन गौतम बुद्ध नगर की 288 ग्राम पंचायतों को औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित होने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण ने गांवों के विकास को कभी गंभीरता से लेना मुनासिब नहीं समझा। जब औद्योगिक नगरी क्षेत्र घोषित होने के बाद सभी गांवों के विकास का उत्तरदायित्व प्राधिकरणों पर है और गांवों के विकास के लिए प्रतिवर्ष बोर्ड बैठकों में बजट का प्रावधान किया जाता है तो सन् 2015 से अब तक 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक गांवों के विकास के लिए तीनों प्राधिकरणों में किसी ने भी गांवों के लोगों के साथ बैठकर वार्षिक खाका तैयार करने की जहमत उठाना मुनासिब नहीं समझा। इसीलिए वार्षिक योजना का प्रारूप तैयार किए बगैर गांवों में हो रहे बेतरतीब विकास कार्यों से गांव तो बदहाल हो ही रहे हैं इन बेतरतीब विकास कार्यों से प्राधिकरणों के राजस्व को भी पलीता लग रहा है। अगर औद्योगिक नगरी क्षेत्र घोषित 288 गांवों का विकास वार्षिक योजना का प्रारूप तैयार करके किया जाए तो, अलग से स्मार्ट विलेज घोषित करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रक्रिया से सभी गांव स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित होते नजर आएंगे।
