मुंह में राम बगल में छुरी…मायावती ने अखिलेश यादव पर साधा निशाना, कांग्रेस को भी घेरा
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नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपा और कांग्रेस पर जातिवादी और दलित विरोधी पार्टी होने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है। दरअसल दलित नेता और बीएसपी के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर 9 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी संगोष्ठी करने जा रही है, यह बात मायावती को पसंद नहीं आई। उन्होंने अखिलेश यादव की घोषणा को घोर छलावा करार देते हुए कहा कि इससे मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत चरितार्थ हो रही है। उन्होंने दलितों से सपा, कांग्रेस से सजग और सावधान रहने की अपील भी की।
मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा, सपा ने ना केवल कांशीराम जी के जीते-जी उनके पार्टी के साथ दगा करके उनके मूवमेन्ट को यूपी में कमजोर करने की लगातार कोशिशें कीं, बल्कि बीएसपी सरकार द्वारा दिनांक 17 अप्रैल सन 2008 को अलीगढ़ मण्डल के अन्तर्गत कासगंज को जिला मुख्यालय का दर्जा देकर कांशीराम नगर के नाम से बनाये गये नए जिले के नाम को भी जातिवादी सोच व राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया। इसके अलावा, बहुजनों को शासक वर्ग बनाने के क्रम में यूपी में बीएसपी की सरकार बनाने के उनके अनवरत प्रयास जैसे बेमिसाल योगदान के लिये उनके आदर-सम्मान में कांशीराम जी के नाम से अन्य और भी जो कई विश्वविद्यालय, कालेज, अस्पताल व अन्य संस्थायें आदि बनाये गये उनमें से भी अधिकतर का नाम सपा सरकार द्वारा बदल दिया जाना इनकी घोर दलित विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा नहीं तो और क्या है?
इतना ही नहीं बल्कि उनके देहान्त होने पर पूरा देश व खासकर उत्तर प्रदेश शोकाकुल था, फिर भी सपा सरकार ने यूपी में एक दिन का भी राजकीय शोक घोषित नहीं कियाा। इसी प्रकार कांग्रेस पार्टी की तब केन्द्र में रही सरकार ने भी उनके देहान्त पर एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया था। लेकिन फिर भी समय-समय पर संकीर्ण राजनीति व वोटों के स्वार्थ की खातिर सपा व कांग्रेस आदि द्वारा कांशीराम जी को स्मरण करना विशुद्ध दिखावा व छलावा का प्रयास किया जाता रहा है। इस प्रकार की गलत जातिवादी व संकीर्ण सोच वाली सपा, कांग्रेस आदि पार्टियों से लोग जरूर सजग व सावधान रहें।
