सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच कथित भ्रष्टाचार और सांठगांठ के गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक नई तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (एस आई टी) गठन का आदेश दिया है
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रविन्द्र बंसल प्रभारी यूपी, यूके / हिंद फोकस न्यूज़
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और ही बिल्डरों के बीच कथित भ्रष्टाचार और सांठगांठ के गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक नई तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (एस आई टी) गठन का आदेश दिया है
नई दिल्ली। यह फैसला बुधवार को जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोएडा अथॉरिटी को महानगर परिषद में बदलने पर विचार करने का भी निर्देश दिया है। ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
मामले का विवरण:
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश नोएडा अथॉरिटी के एक पूर्व कानूनी अधिकारी द्वारा अनुचित रूप से 7.28 करोड़ रुपये के मुआवजे की मंजूरी के मामले में सुनवाई के दौरान दिया। इससे पहले गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत से किसानों को 20 मामलों में 117 करोड़ रुपये का अत्यधिक मुआवजा दिया गया। यह मुआवजा उन लोगों को दिया गया, जो इसके हकदार नहीं थे। एसआईटी ने पाया कि नोएडा अथॉरिटी में निर्णय लेने की प्रक्रिया अपारदर्शी है। और यह बिल्डरों के पक्ष में काम करती है।
अफसरों की जांच जरूरी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अधिकारियों और उनके परिवारों की संपत्ति, बैंक खातों, और लाभार्थियों के साथ संभावित सांठगांठ की जांच जरूरी है। एसआईटी ने नोएडा अथॉरिटी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता की कमी को उजागर किया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
नई एसआईटी का गठन: उत्तर प्रदेश के डीजीपी को तीन आईपीएस अधिकारियों की नई एसआईटी गठन करने का आदेश दिया गया है। जिसमें फॉरेंसिक विशेषज्ञ और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) शामिल होंगे। एसआईटी को तुरंत प्रारंभिक जांच शुरू करने और यदि कोई अपराध पाया जाता है, तो मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश है।
पर्यावरणीय मंजूरी अनिवार्य: नोएडा में कोई भी नया प्रोजेक्ट बिना पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) और सुप्रीम कोर्ट की ग्रीन बेंच की मंजूरी के शुरू नहीं होगा।
पारदर्शिता के लिए कदम: एसआईटी की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को सौंपी जाएगी, जो इसे मंत्रिपरिषद के समक्ष रखेंगे। नोएडा में एक मुख्य सतर्कता अधिकारी (आईपीएस कैडर या सीएजी से डेप्युटेशन पर) नियुक्त किया जाएगा और चार सप्ताह के भीतर एक नागरिक सलाहकार बोर्ड गठित होगा।
मुआवजे की जांच: एसआईटी को यह जांचने का निर्देश दिया गया है कि क्या मुआवजा कोर्ट के आदेशों से अधिक था, कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे, और क्या अधिकारियों और लाभार्थियों के बीच सांठगांठ थी।
किसानों की सुरक्षा: कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन किसानों को मुआवजा मिला, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं होगी।
दो सप्ताह में मंजूरी: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए एसआईटी को मंजूरी की आवश्यकता होने पर सक्षम प्राधिकारी को दो सप्ताह में मंजूरी देनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच कथित भ्रष्टाचार और सांठगांठ के गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक नई तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआई टी) गठन का आदेश दिया है।
