नाबालिग पति को भी देना होगा गुजारा भत्ता, इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला
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प्रयागराज। पत्नी के गुजारा भत्ते के बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस एमपी सिंह की बेंच ने ये फैसला सुनाया। जस्टिस सिंह ने फैसले में कहा है कि अगर महिला का पति नाबालिग है, तो भी उसे पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा। बाल विवाह के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई कर ये फैसला सुनाया। इससे पहले फैमिली कोर्ट ने भी नाबालिग पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 और 128 के तहत नाबालिग पति के खिलाफ गुजारा भत्ता का आवेदन स्वीकार किया जा सकता है। जस्टिस सिंह ने सीआरपीसी की उपरोक्त दोनों धाराओं के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि पर्याप्त साधन वाले किसी व्यक्ति के अपनी पत्नी, नाबालिग बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता को भरण पोषण देना जरूरी है।
कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 तब लागू होती है, जब कोई व्यक्ति पत्नी या बच्चों का भरण पोषण देने में नाकाम रहता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि उसे शक है कि नाबालिग अपने माता-पिता पर निर्भर होता है। ये नहीं माना जा सकता कि उसके पास खुद या दूसरों को पालने के लिए पर्याप्त साधन हैं, लेकिन जैसे ही संबंधित शख्स बालिक होता है, तो उसे भरण पोषण की जिम्मेदारी लेनी होगी।
कोर्ट में याची अभिषेक ने बताया था कि उसकी शादी 10 जुलाई 2016 को हुई थी। उस वक्त उसकी उम्र 13 साल ही थी। 15 साल की उम्र में अभिषेक पिता बना। बाद में अभिषेक और उसकी पत्नी अलग हो गए। जब अभिषेक 2019 में 16 साल के हुए, तो पत्नी ने गुजारा भत्ता के लिए आवेदन दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभिषेक की याचिका पर सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट से गुजारा भत्ता की राशि कम कर दी, लेकिन पूरी तरह राहत देने से इनकार कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट का ये फैसला तलाक के मुकदमों के लिए बड़ी नजीर बन सकता है।
