सोच-समझकर वाट्सएप ग्रुप में कीजिए मैसेज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शख्स के खिलाफ इस मामले में शुरू किया अवमानना का केस
प्रयागराज। किसी भी ग्रुप में वाट्सएप मैसेज करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। असावधानी या अज्ञानता किस तरह भारी पड़ सकती है, उसका एक उदाहरण इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से एक शख्स के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने से आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाट्सएप ग्रुप पर बस्ती जिले के एक न्यायिक अधिकारी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी कृष्ण कुमार पांडेय पर आरोप तय कर अवमानना का केस चलाने को मंजूरी दी है। कृष्ण कुमार पांडेय ने बस्ती जिला कोर्ट के वकीलों के वाट्सएप ग्रुप में जज पर टिप्पणी की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने कहा कि कृष्ण कुमार पांडेय पर कोर्ट की अवमानना संबंधी 1971 के कानून की धारा 2(सी) के तहत अदालत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने और उसके अधिकार कम करने का केस चलाया जाए। कृष्ण कुमार ने बस्ती में वकीलों के वाट्सएप ग्रुप में लिखा था कि एक एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। एडीजे के बारे में लिखा गया था कि उन पर रिश्वत लेने और दीवानी और फौजदारी के लंबित केस में फर्जी और जाली आदेश पत्र लिखने का आरोप है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज ने वाट्सएप पर किए गए मैसेज की जांच की थी। प्रशासनिक जज ने कहा था कि ऐसी पोस्ट लिखना न्यायिक व्यवस्था को धमकाने, कोर्ट को बदनाम और आतंकित करने जैसा है। इस वजह से अवमानना के समान है।
प्रशासनिक जज की आख्या के बाद कृष्ण कुमार पांडेय का मामला आपराधिक अवमानना को सुनने वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच में आया था। इस मामले में आरोपी को नोटिस भेजा गया और बचाव के कई मौके दिए गए, लेकिन कृष्ण कुमार पांडेय ने ये कहते हुए प्रस्ताव मानने से इनकार किया कि वो खुद का बचाव करने में सक्षम है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान ये भी पाया कि अवमानना का आरोपी कृष्ण कुमार पांडेय वकील भी नहीं है। इसके बावजूद बस्ती जिला के वकीलों के वाट्सएप ग्रुप में वो शामिल है। कोर्ट ने इस मामले में बस्ती के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी नोटिस दिया था। इस पर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट को आश्वासन दिया था कि वाट्सएप ग्रुप के दुरुपयोग को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
