कर्ज के जाल में फंसा पाकिस्तान, 286.832 अरब डॉलर का है बोझ
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इस्लामाबाद। आईएमएफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ये सोच रहे थे कि अब वो अपने देश की आर्थिक हालत बेहतर बना लेंगे। अब यही कर्ज पाकिस्तान के गले की हड्डी बनता दिख रहा है। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-2026 में जून तक पाकिस्तान का कुल कर्ज 286.832 अरब डॉलर हो गया है। यानी पाकिस्तान पर 80.6 ट्रिलियन रुपए का कर्ज है। पाकिस्तान पर पिछले वित्तीय वर्ष के कर्ज के मुकाबले ये 13 फीसदी ज्यादा है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अलावा चीन, यूएई और सऊदी अरब से भी कर्ज ले रखा है।
पाकिस्तान वित्त मंत्रालय की सालाना कर्ज समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश पर घरेलू कर्ज 54.5 ट्रिलियन रुपए और विदेशी कर्ज 26 ट्रिलियन रुपए हो गया है। पाकिस्तान की जीडीपी के मुकाबले कर्ज जून 2025 में बढ़कर 70 फीसदी पर पहुंच गया है। जबकि, जून 2024 में ये 68 फीसदी था। पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बढ़ने की बड़ी वजह जीडीपी में न्यूनतम बढ़ोतरी है। साथ ही आईएमएफ और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से मिला कर्ज और अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं से मिला फंड पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
पाकिस्तान वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि कुल विदेशी कर्ज में से 84 फीसदी हिस्सा केंद्रीय सरकार का है। जबकि, 16 फीसदी कर्ज प्रांतों और अन्य संस्थाओं के सिर पर चढ़ा है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत पर सबसे ज्यादा कर्ज है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब प्रांत पर 6.18 अरब डॉलर का कर्ज है। जो कुल बाहरी कर्ज का 7 फीसदी है। वहीं, 5 फीसदी की हिस्सेदारी यानी 4.67 अरब डॉलर का कर्ज सिंध प्रांत पर है। सिंध पर कर्ज में एक साल के भीतर सबसे तेज बढ़ोतरी भी दर्ज हुई है। पाकिस्तान को एडीबी ने 1 अरब डॉलर का कर्ज देना मंजूरी किया है। जबकि, शहबाज शरीफ सरकार के लगातार कटोरा आगे करने पर आईएमएफ ने 7 अरब डॉलर कर्ज मंजूर किया था। हालांकि, आईएमएफ ने कर्ज के लिए कड़ी शर्तें भी लगाई थीं। जिनमें बिजली वगैरा की दर में बढ़ोतरी भी शामिल है। जिसका खामियाजा पाकिस्तान की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
