एच1बी वीजा पर 1 लाख डॉलर फीस लगाने के डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर उपजी चिंता, अर्थशास्त्री ने बताया अमेरिका में किन क्षेत्रों को होगा नुकसान
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नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा के लिए सालाना 1 लाख डॉलर की फीस लेने संबंधी कार्यकारी आदेश पर दस्तखत किए हैं। अमेरिका हर साल 65000 एच1बी वीजा जारी करता है। इसमें से 70 फीसदी से ज्यादा भारतीय प्रोफेशनल्स को मिलते रहे हैं। एच1बी वीजा पाने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स में टेक इंडस्ट्री, इंजीनियरिंग और हेल्थ केयर वाले शामिल हैं। अब एच1बी वीजा के लिए हर साल 1 लाख की फीस लगाने से इनके लिए अमेरिका जाकर काम करना मुश्किल होगा। खुद अमेरिका के एक अर्थशास्त्री ने एच1बी वीजा के लिए फीस लगाने के डोनाल्ड ट्रंप के फीस लगाने पर चिंता जताई है।
अर्थशास्त्री और मैनहटन इंस्टीट्यूट से जुड़े डेनियल डी. मार्टिनो ने एक्स पर अपनी चिंता पोस्ट की है। उन्होंने लिखा है कि अमेरिका में एच1बी वीजा के तहत काम करने वालों में सबसे ज्यादा 5 लाख डॉलर पाने वाले भी सालाना 1 लाख डॉलर नहीं देंगे। मार्टिनो ने लिखा है कि इतनी भारी-भरकम फीस लगाने से एच1बी वीजा योजना खत्म हो जाएगी। डेनियल ने लिखा है कि अगर कोर्ट ने फीस लेने का ट्रंप का फैसला रद्द न किया, तो एच1बी वीजा पर फीस लगाने से अमेरिका में स्वास्थ्य सेवा, उच्च शिक्षा और तकनीकी के क्षेत्र नष्ट हो जाएंगे। बता दें कि अमेरिका में करीब 5 लाख लोग एच1बी वीजा लेकर काम करते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत विरोधी कदम उठा रहे हैं। पहले उन्होंने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा रखा है। इसके अलावा बीते दिनों उन्होंने ईरान में भारत के सहयोग से बन रहे चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करने वालों पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है। भारत को ट्रंप सरकार ने ड्रग्स मामले में भी लिस्ट में रखा है। हालांकि, ट्रंप लगातार ये भी कहते हैं कि भारत उनको पसंद है और पीएम नरेंद्र मोदी बहुत अच्छे दोस्त हैं। ऐसे में अब एच1बी वीजा देने के लिए फीस की शर्त लगाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि ट्रंप भारत से दोस्ती निभाना चाहते हैं या नहीं!
